उस गाँव में उत्पल नामक एक निमित्तज्ञ रहता था । वह पहले पार्श्वनाथ की परम्परा का श्रमण था, किन्तु किसी कारण से वह श्रमण-जीवन छोड़ चुका था । उसने जब भगवान महावीर के यक्षायतन में ठहरने की बात सुनी तो अनिष्ट की आशंका से उसका हृदय हिल उठा । प्रात:काल वह पुजारी के साथ यक्षायतन पहुँचा। वहाँ पर उसने भगवान को ध्यानावस्थ खड़े देखा तो बड़ा प्रसन्न हुआ। रात के स्वप्नों के फल के सम्बन्ध में उसने प्रभु से निम्न विचार व्यक्त किये:- 1. पिशाच को मारने का अर्थ है कि आप मोहकर्म का अन्त करेंगे। 2. श्वेत कोकिल देखने का तात्पर्य यह है कि आपको शुक्लध्यान प्राप्त होगा । 3. विचित्र रंग के कोकिल देखने का तात्पर्य यह है कि आप विविध ज्ञानों से पूर्ण श्रुत की देशना करेंगे। 4. देदीप्यमान दो रत्नमालाओं का तात्पर्य निमित्तज्ञ नहीं बता सका। 5. सफेद गौवर्ग का तात्पर्य यह है कि आप चतुर्विधसंघ की स्थापना करेंगे। 6. विकसित पद्म सरोवर का तात्पर्य है कि चार प्रकार के देव आपकी सेवा करेंगे। 7. समुद्र को तैर कर पार करने का तात्पर्य है कि आप संसार- सागर को पार करेंगे। 8. उदीयमान सूर्य से विश्व में आलोक का तात्पर्य है कि आप...
ains trace their history through twenty-four tirthankara and revere Rishabhanatha as the first tirthankara, The two main sects of Jainism, the Digambara and the Shvetaambar