Lesson To Avoid hatred, Lord Mahavir Speech Towards Society!!! किसी से इतनी नफरत भी मत करो कि उसकी अच्छी बात भी बुरी लगे किसी से इतना प्यार मत करो कि उसकी बुरी बात भी अच्छी लगे। किसी की अच्छी बात को स्वीकार करो और उसकी बुरी बातों को इग्नोर करो । बुरी बात को देखकर आदमी को बुरा मत मानो । अगर बुरे को बुरा ही कहते रहोगे तो उसकी अच्छाई भी बुराई में बदल सकती है । इसलिए कहते हैं कि पाप से घृणा करो पापी से नहीं । पुराने जमाने में घर में सीधा आटा न आकर गेहुं आते थे । घर की महिलाएं ही उस गेहूं को थाली में लेकर ध्यानपूर्वक देखकर उसमें से कंकर,तिनके, और जीव जंतु अलग करती थी और गेहूं को अलग करती थी । फिर उन गेहुओं को घर में पत्थर की चक्की में स्वयं पीसती थी । फिर उस आटे से रोटी भी स्वयं पकाती थी, क्योंकि वो रोटी उसके पति और बच्चे खाने वाले हैं । वे सब उसके अपने है ।इसलिए उनके पेट में ऐसी कोई वस्तु न जावे जो उसके आंखों से अनदेखी हो । इसलिए पुराने जमाने में लोगों का तन मन दोनों स्वस्थ रहता था । आज किसके घर में गेहूं आते हैं? आते हैं क्या ? जन आवाज- नहीं । सीधा आटा आता है । अब जरा सोचिए वो आ
Jainism | जैन इतिहास | जैन धर्म | Jain Religion | श्वेतांबर | Swetambar | Digambar | दिगंबर
ains trace their history through twenty-four tirthankara and revere Rishabhanatha as the first tirthankara, The two main sects of Jainism, the Digambara and the Shvetaambar